Fascination About bhairav kavach
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नैऋत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे
कुंकुमेनाप्टगन्धेन गोरोचनैश्च केशरैः।
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साधक कुबेर के जीवन की तरह जीता है और हर जगह विजयी होता है। साधक चिंताओं, दुर्घटनाओं और बीमारियों से मुक्त जीवन जीता है।
Spiritual Advancement: The Kavach is commonly found as a Resource for spiritual growth, facilitating a further reference to the divine and aiding while in the journey toward self-realization.
इति श्रीहरिकृष्णविनिर्मिते बृहज्ज्योतिषार्णवे धर्मस्कन्धे
ॐ ह्रीं दण्डपाणिर्गुह्यमूले भैरवीसहितस्तथा ।
वन्दे बालं स्फटिकसदृशं कुण्डलोद्भासिवक्त्रं
ॐ सहस्रारे महाचक्रे कर्पूरधवले गुरुः।
देयं पुत्राय शिष्याय शान्ताय प्रियवादिने ॥ ३०॥
ॐ ह्रीं प्रणवं पातु सर्वाङ्गं लज्जाबीजं महाभये ।